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Saturday, March 2, 2013

खामोशी की ज़ुबान



 











ग़म के सहराओं से ये आह सी क्यों आती है ,
दिल की दीवारों पे नश्तर से चुभो जाती है !

ये किसका साया मुझे छू के बुला जाता है ,
ये किसकी याद यूँ चुपके से चली आती है !

ये मुद्दतों के बाद कौन चला आया था ,
ये किसके कदमों की आहट कहाँ मुड़ जाती है !

ये किसने प्यार से आवाज़ दे पुकारा था ,
ये किस अनाम अँधेरे से सदा आती है ! 

कि जिनकी खुशबू से मौसम में खुशगवारी थी ,
उन्हीं गुलों को गिराने हवा क्यों आती है ! 

ये हमने प्यार से जिन पत्थरों को पूजा था
उन्हीं के दिल से धड़कने की सदा आती है !

अभी तो तैरना सीखा था तुमसे पानी में  
तुम्हीं बताओ सुनामी कहाँ से आती है ! 

बहा के अश्क जो सदियों में दिल किया हल्का  
तेरे अश्कों की नमी बोझ बढ़ा जाती है !

ये कौन मौन की वादी में यूँ भटकता है 
कि मन की गलियों में चलने की भनक आती है !

कि सूखे पत्तों के दिल में भी दर्द होता है
हर एक चोट बहारों की याद लाती है !  

हमें तो आज भी है तेरी ज़रुरत ऐ दोस्त
तुझीको हाथ झटकने की अदा आती है ! 

हमें पता है तुझे बोलना नहीं भाता 
तेरी खामोशी ही हर बात कह सुनाती है !



साधना वैद
चित्र गूगल से साभार

20 comments :

  1. ख़ामोशी की जुबां...दिल की ख़ामोशी ही सुनती है ..
    उम्दा अहसास !
    मुबारक हो !

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  2. बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल.

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  3. This comment has been removed by the author.

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  4. बहा के अश्क जो सदियों में दिल किया हल्का तेरे अश्कों की नमी बोझ बढ़ा जाती है !
    .बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .आभार छोटी मोटी मांगे न कर , अब राज्य इसे बनवाएँगे .” आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते

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  5. बहुत खूबसूरत गजले कही है आपने साधना जी
    साभार...........

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  6. वाह क्या बात है दिल को छूती भावपूर्ण गजल |
    आशा

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  7. बहुत सुन्दर ग़ज़ल.

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  8. बहुत सुन्दर
    बहुत ही बढ़ियाँ गजल...
    बेहतरीन...
    :-)

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  9. हमें तो आज भी है तेरी ज़रुरत ऐ दोस्त
    तुझीको हाथ झटकने की अदा आती है !
    ये लाइने दिल को छू गयी

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  10. ये कौन मौन की वादी में यूँ भटकता है
    कि मन की गलियों में चलने की भनक आती है !

    ...वाह! बहुत उम्दा ग़ज़ल...

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  11. बहुत उम्दा पंक्तियाँ

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  12. कि सूखे पत्तों के दिल में भी दर्द होता है
    हर एक चोट बहारों की याद लाती है !

    सार्थक सन्देश देती बहुत सुंदर गज़ल.

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  13. शुक्रिया साधना जी . मेरी कविता को पसंद करने के लिए
    आपकी ये ग़ज़ल पढ़ी . बहुत सुन्दर लिखा है .. बधाई स्वीकार करिए
    ज़िन्दगी के हर भाव को आपने इस ग़ज़ल में समाहित किया है .

    विजय
    www.poemsofvijay.blogspot.in

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  14. कि जिनकी खुशबू से मौसम में खुशगवारी थी , उन्हीं गुलों को गिराने हवा क्यों आती है !

    बेहतरीन भाव लिए खूबसूरत ग़ज़ल ...

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  15. अभी तो तैरना सीखा था तुमसे पानी में
    तुम्हीं बताओ सुनामी कहाँ से आती है ! ....

    सुनामी का पता हो जाये तो तुमसे कहते हैं
    तुम्हारा नाम भूले से जुबां पर हम न लायेंगे ....

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  16. बहुत सुन्दर अलफ़ाज़. दाद स्वीकारें.

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  17. गहन भाव लिये ... बेहतरीन प्रस्‍तुति

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  18. हमें पता है तुझे बोलना नहीं भाता
    तेरी खामोशी ही हर बात कह सुनाती है !
    बहुत खूबसूरत अहसास... आभार

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