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Sunday, October 20, 2013

चलो भर लें उड़ान





आओ ना,
भोर की सुनहरी आभा से
धरती और आकाश
उजागर हो चुके हैं !  
चलो मिल कर गायें
कुछ सुरीले गीत !
भर दें इस संसार को
संगीत की अलौकिक
मधुर स्वर लहरियों से !
भर लें अपने 
मन और आत्मा में
यह दिव्य उजास
जो हमारे उर अंतर के
कोने-कोने को जगमगा दे
और नाप लें अपने
नन्हे-नन्हे पंखों से
यह गगन विशाल कि
आँखों में समाया हर स्वप्न
साकार होने के लिये
नव ऊर्जा से स्फुरित हो
प्राणवान हो सके !
चलो ना,
भर लें उड़ान !



साधना वैद

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