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Sunday, February 23, 2014

पोंकवड़ा सेंटर



आप में से कई पाठकों ने पोंकवड़ा का नाम सुना भी होगा और निश्चित रूप से  इस अद्भुत व्यंजन का स्वाद भी अवश्य चखा होगा ! पिछले सप्ताह अपनी गुजरात यात्रा के दौरान सूरत में पहली बार मैंने इसका नाम सुना और पहली बार ही इसका स्वाद भी चखा ! सूरत शहर का यह बहुत ही प्रसिद्ध स्नैक है और सभी लोग इसे बेहद पसंद करते हैं ! स्वाद से भी अधिक दिलचस्प अनुभव था पोंकवड़ा बनाने की पूरी प्रक्रिया को आँखों के सामने लाइव घटित होते हुए देखना ! आज आप सभी के साथ अपना यह अनुभव मैं बाँटना चाहती हूँ ! 

ताप्ती नदी के किनारे खुले आकाश के नीचे बेहद खुशनुमा मौसम में हम लोग इस पोंकवड़ा सेंटर में पहुँचे ! १० फरवरी की शाम थी ! नदी यद्यपि कुछ दूर थी लेकिन ताज़ी हवा के झोंकों के साथ ताप्ती के शीतल जल की भीनी-भीनी सुगंध वातावरण को और खुशगवार बना रही थी ! पोंकवड़ा सेंटर क्या यह जगह तो जैसे अनाज के खेत से बाहर निकलने से लेकर हम लोगों के पेट तक पहुँचने की पूरी गतिविधि के मंचन की नाट्यशाला ही थी ! 
                              
पोंकवड़ा ज्वार से बनाया जाता है ! खेत से निकली ताज़ी हरी-हरी ज्वार की बालियों को कोयले के अंगारों पर भूना जाता है ! वहाँ एक स्थान पर कोयले की सुर्ख आँच पर कई लोग बालियों को भूनने के काम में जुटे हुए थे !  


फिर इन भुनी हुई बालियों को कपड़े की लंबी-लंबी थैलियों में डाल कर लकड़ी की पट्टियों से हल्के हाथ से पीटा जाता है जिससे दाने अलग हो जायें ! सभी लोग इतनी तल्लीनता के साथ यह काम कर रहे थे कि उन्हें देख कर ही उत्साह का संचार हो रहा था ! 


थैलियों से फिर इस सामग्री को फटकने के लिये सूपों में पलट दिया जाता है ! कई स्त्रियाँ खूबसूरत सूपों में इस भुनी ज्वार को फटकने का काम बहुत ही दक्षता के साथ कर रही थीं ! इस क्रिया के बाद सारा भूसा अलग हो जाता है और बिलकुल साफ़ सुथरे ज्वार के भुने हुए दाने एकत्र कर लिये जाते हैं ! 
                               

अन्य दुकानदार व्यंजन बनाने के लिये ज्वार के इन दानों को खरीद कर ले जाते हैं ! इनसे अनेक तरह की खाद्य सामग्री वे बनाते हैं जिनमें पोंकवड़ा अर्थात पकौड़े व पैटीज़ बहुत लोकप्रिय हैं ! दानों को छौंक बघार कर भरावन की सामग्री तैयार की जाती है और फिर इस सामग्री को भर कर समोसे, कचौड़ी, पोंकवड़ा व पैटीज़ बनाई जाती हैं ! इन्हीं दानों को पीस कर रतलामी सेव की तरह विभिन्न फ्लेवर्स के मोटे पतले सेव भी बनाये जाते हैं जिनमें लहसुन के सेव व चटपटे मसालेदार सेव बहुत ही स्वादिष्ट लगते हैं ! 

सबसे अच्छी बात जो लगी वह यह थी कि यह सारा काम हाथों से किया जा रहा था ! इसमें किसी भी तरह की मशीनों का प्रयोग नहीं किया जा रहा था ! इससे कई लोगों को रोज़गार मिल रहा था और जो कर्मचारी वहाँ काम कर रहे थे वे सभी खुशहाल और संतुष्ट दिखाई देते थे ! वहाँ आने वालों के लिये इस सारी प्रक्रिया को देखना एक सुखद अनुभव था ! जो आ रहा था वह निश्चित रूप से प्रभावित भी हो रहा था और फिर पोंकवड़ा खरीदे बिना या खाये बिना ऐसे ही लौट जाना उसके लिये नितांत असंभव हो जाता था ! लोग वहाँ बैठ कर खा भी रहे थे और पैक करवा कर घर भी ले जा रहे थे ! परिणामस्वरूप दुकानदारों की बिक्री भी धुआँधार हो रही थी ! 

मुझे तो वहाँ बहुत मज़ा आया ! आप भी जब गुजरात जायें और सूरत जाने का संयोग बन जाये तो इस पोंकवड़ा सेंटर पर ज़रूर जाइयेगा ! संभव है गुजरात के अन्य शहरों में भी ऐसे पोंकवड़ा सेंटर्स हों लेकिन ताप्ती नदी के किनारे पर स्थित इस पोंकवड़ा सेंटर जैसा खुशनुमां मौसम और वातावरण तो निश्चित ही अन्यत्र कहीं नहीं मिल सकता ! पूर्व में भी गुजरात कई बार जाने का अवसर मिला लेकिन इससे पहले मैंने पोंकवड़ा का ना तो कभी नाम सुना था ना ही इसे कभी खाया था ! पहली बार सूरत में ही मैंने कुटीर उद्योग की इस छोटी सी इकाई को देखा है इसलिये मुझे लगता है यह सूरत की ही स्पेशियलिटी है तो मैं तो इसीकी सिफारिश करूँगी ! वैसे आपको जहाँ कहीं भी इस तरह की यूनिट देखने का सुअवसर मिले चूकियेगा मत ! आपको भी बहुत आनंद आयेगा इसका मुझे पूरा विश्वास है और पोंकवड़ा खाकर तो देखिये कई दिनों तक स्वाद आपके मुँह में घुला रहेगा यह आपसे मेरा वादा है !

साधना वैद


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