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Wednesday, April 30, 2014

श्रमिक दिवस
















लो फिर से श्रमिक दिवस आ गया,
श्रमिकों के ज़ख्म कुरेदने और
उन पर नमक छिड़कने का
एक और अवसर यह
सभ्य समाज पा गया !
हमारी दुर्दशा पर,
हमारे बच्चों के दुर्भाग्य पर,
हमारी बुनियादी ज़रूरतों की
बिल्कुल खाली बिसात पर
और
हमारे हालात बदलने की
निरुद्देश्य, निष्फल योजनाओं की
खोखली घोषणाओं पर
पाँच सितारा होटलों के
वातानुकूलित भव्य सभागारों में
चंद सेमीनार होंगे
जिनमें शिरकत करने वाले
सभी माननीयों की सेवा में
भाँति-भाँति के ज़ायकेदार व्यंजन
और मधुर शीतय पेय
उपलब्ध कराने के लिये
शुष्क कण्ठ और खाली पेट लिये
हम जैसे ही कई खिदमतगार
सूनी आँखों और रिक्त मन से
वहाँ उपस्थित होंगे !
श्रमिकों के हित की तो सिर्फ
हवाई बातें होंगी,
इस बहाने से माननीयों के
सारे कुनबे के मनोरंजन के लिये
अनेकों जश्न जलसे और पार्टियाँ होंगी !
वो अर्थहीन बातें
जिनकी बहुत कम आयु होती है
और बहुत क्षणिक महत्व होता है
सभागार से बाहर
निकलते ही भुला दी जायेंगी,
लेकिन जिनकी तहरीरें आने वाले
अगले वर्ष के श्रमिक दिवस के लिये
हिफाज़त के साथ फाइलों में
दफना दी जायेंगी !
आज के परिप्रेक्ष्य में
श्रमिक दिवस का मात्र
इतना ही औचित्य रह गया है,
श्रमिक दिवस हम मेहनतकश
श्रमजीवियों की अस्मिता के लिये
बस एक मखौल भर
बन कर रह गया है !

 
 







 







साधना वैद

Friday, April 25, 2014

लक्ष्य



अर्जुन की तरह
 अपने लक्ष्य पर
टकटकी लगाये बैठा हूँ मैं
लहरों पर धीरे-धीरे बहती 
अपनी डगमगाती नौका पर !
पास में है खण्डित पतवार
और मन के तूणीर में
जीवन के रणक्षेत्र से बटोरे हुए
भग्न, आधे अधूरे,
बारम्बार प्रयुक्त हुए चंद तीर
और महत्वाकांक्षा की
एक टूटी-फूटी कमान !
और साथ देने को है  
शाम का सिमटता धुँधलका,
अखण्ड नीरवता,
तन मन में व्याप्त थकन  
और एक ऐसी विरक्ति
जो ना तो मन से
उतार कर फेंकी जा सकती है
ना ही जिससे स्वयमेव
मुक्ति मिल पाना संभव है !
नियति के इशारे पर
चल तो पड़ा हूँ
एक निर्जन निसंग यात्रा पर !
हवा के झोंकों के साथ 
निर्लिप्त, निरुत्साहित, 
 अनिर्दिष्ट, अकारण   
बहता ही जाता हूँ मैं 
क्योंकि रुकने के लिये
मेरे पास ना कोई कूल है 
ना किसी माँ का 
ममता भरा दुकूल है !
दूर क्षितिज के भाल पर
निर्धारित कर दिया है
तुमने मेरा लक्ष्य !
कहो, कहाँ निशाना साधूँ
लहरों पर आंदोलित
क्षितिज के प्रतिबिम्ब पर
या दोनों पहाड़ों के मध्य
अनंत शून्य में स्थित
क्षितिज के भाल पर ?
यह कैसी परीक्षा है देव  
जहाँ जीत की कोई
संभावना ही नहीं,
जहाँ पराजय निश्चित
और अवश्यम्भावी है !
लेकिन न्याय के नाम पर
तुम्हारा यह अन्याय भी
मुझे स्वीकार है !

साधना वैद

Wednesday, April 23, 2014

निर्णायक पल और मतदान




देश के सभी मतदाता इन दिनों अच्छी तरह से चुनाव के रंग में रंगे हुए हैं ! शिक्षित अशिक्षित, नये पुराने, बूढ़े जवान सभी अपनी-अपनी सोच, समझ एवं प्राथमिकताओं के अनुसार यह तय कर चुके हैं कि उन्हें किस पार्टी को और किस प्रत्याशी को वोट देना है ! लेकिन दो या तीन प्रतिशत मतदाता ऐसे भी होते हैं जो अपने मत का निर्धारण इस बात पर तय करते हैं कि हवा किसकी चल रही है ! इन्हीं लोगों को प्रभावित करने के लिये जुलूस, रैलियाँ, तरह-तरह के विज्ञापन, रोड शो आदि किये जाते हैं ! और यह ज़रूरी भी हैं क्योंकि जहाँ काँटे की टक्कर होती है वहाँ हार जीत का निर्णय इन दो या तीन प्रतिशत वोटों की गणना से ही तय होता है ! नेताओं की सभाओं में बड़ी भीड़ जमा करके अंतिम क्षण में निर्णय लेने वाले इन मतदाताओं को अपने पक्ष में मतदान करने के लिये प्रेरित करने के प्रयास किये जाते हैं ! लेकिन नेता गण चाहे जितने झुनझुने बजा लें, सभाएं कर लें या रोड शो और रैलियाँ कर लें ! मन बहलाने के लिये लोगों की भीड़ भी भले ही जुट जाये वोट उनका किसी एक प्रत्याशी को ही मिलेगा यह भी तय है ! आपने नोटिस किया है कभी अति उत्साही एवं फ़ुरसतिया लोगों के वही चहरे आपको हर पार्टी के नेता की सभा और रोड शो में नज़र आ जायेंगे !
इस बार मैं आपसे कुछ ऐसा करने के लिये कहने जा रही हूँ जो शायद आपके विचारों के प्रतिकूल हो ! पिछले कई वर्षों से देश में गठबंधन वाली मिली जुली सरकारें संसद में आ रही हैं ! जो ना तो एक समर्थ सशक्त सरकार दे पाती हैं ना ही एक सबल विपक्ष ! देश की जनता ने जाति, धर्म, पार्टी विशेष के लिये अपनी प्राथमिकता के आधार पर किसे और कैसे वोट करना है यह पहले से ही तय कर रखा है ! इसीका नतीजा है कि पिछले पच्चीस साल से देश में गठबंधन वाली सरकारें बनती चली आ रही हैं ! स्पष्ट बहुमत वाली आख़िरी सरकार ३० वर्ष पहले १९८४ में श्री राजीव गाँधी की बनी थी ! उसके बाद जितनी भी सरकारें बनीं वे सांसदों की खरीद फरोख्त के समीकरण साधने में और अपनी कुर्सी बचाने के जोड़ तोड़ में ही व्यस्त रहीं और देश और जनता के हित की बातें पिछड़ती चली गयीं ! इस बीच देश का कितना विकास हुआ, कितने घोटाले और घपले हुए, कितनी महँगाई बढ़ी, कितना भ्रष्टाचार बढ़ा, आम जनता के हित में कितने क़ानून बने और कितने निर्णय लिये गये आप सब देख ही रहे हैं ! इसका एकमात्र कारण यही है कि संसद में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाता है इसीलिये देशहित में ना तो कोई ठोस कदम उठाया जा सकता है ना ही कोई सकारात्मक प्रस्ताव पास हो पाता है ! जिस किसी पार्टी के हित आड़े आ जाते हैं उसीके सांसद समर्थन वापिस लेने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने लगते हैं ! नतीजतन संसद का सारा वक्त व्यर्थ की छींटाकशी और अरोप प्रत्यारोपों के शोरगुल में ही व्यतीत होने लगता है ! इस सबसे बचने के लिये आवश्यक है कि संसद में एक स्पष्ट बहुमत वाली सरकार और एक दमदार सबल विपक्ष बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाये जायें ! इसके लिये अपने पूर्वाग्रह छोड़ कर समझदारी से वोट करना होगा ! अपने क्षेत्र के उस प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करें जिसकी जीत सुनिश्चित है ! या तो वह सरकार बनाने वाली पार्टी के हाथ मज़बूत करेगा या सशक्त विपक्ष को और मजबूती देगा ! सिद्धांतों के नाम पर निश्चित हारने वाले प्रत्याशी को वोट देकर आप ना तो उसका भला कर रहे हैं ना ही देश का और अपना कीमती वोट भी जाया कर रहे हैं ! यह प्रत्याशियों के लिये भी एक सबक होगा कि चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये पाँच साल तक अपनी ज़मीन तैयार करनी पड़ेगी ! जनता के बीच अपनी पहचान और लोकप्रियता अर्जित करनी होगी तब ही जीत संभव हो सकेगी ! राजनीति टू मिनिट्स नूडल्स जैसी रेसीपी नहीं है कि जुगाड़ करके रातों रात पार्टी से टिकिट हासिल कर लिया, चुनाव जीत लिया और सत्ता की कुर्सी पर काबिज होने के सपने सजा लिये !    
कल मतदान का छठा चरण है ! ११७ सत्रह सीट्स के लिये कल मतदान किया जायेगा ! आपसे अनुरोध है कि थोड़ा चिंतन करिये और देश को एक स्पष्ट बहुमत वाली सरकार या एक समर्थ सार्थक विपक्ष देने की दिशा में ठोस कदम उठाइये ! इस बार यदि अच्छी सरकार बन जाती है और उसको टक्कर देने के लिये एक दमदार विपक्ष का चुनाव हो जाता है तो उसके सुपरिणामों का लाभ हम भी तो उठायेंगे ! है ना ? क्या कहते हैं आप ?


साधना वैद  

Monday, April 21, 2014

स्पर्धा



खड़ी हूँ 
अटल अडिग निष्कम्प 
तुम्हारे सामने
देखना है
असह्य दुर्दम्य 
ताप तुम्हारा
जला देता है 
मेरे संकल्प को
या हार मान कर 
तुम स्वयम् ही 
अस्त हो जाते हो ! 


साधना वैद  

चित्र  - गूगल से साभार