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Saturday, December 6, 2014

ओ मनमीत


ओ मनमीत
हृदय धर प्रीत
सुनाऊँ गीत !

प्राण अधारे
बाट तकत थके
नैन हमारे !

जीवन धारा
बहती कल-कल
दूर किनारा !

खेवनहार
डूबी जाती है नैया ‘
 लगा दो पार !

पालनहार
व्याकुल अंतर की
सुनो पुकार !

सीता के राम
राधा मीरा के श्याम
  हमारा कौन ...?

भावों के फूल
पिरो आँसू की डोर
अर्पित तुम्हें !

  कृष्णमुरारी  
हर लो ना आकर  
पीर हमारी !

पिरोती रही
वन्दना की माला में
भक्ति के फूल !

चढ़ाती रही
तुम्हारे चरणों में
  श्रद्धा के हार !  

साधना वैद

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