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Monday, January 4, 2016

श्रद्धांजलि





शहीद आया
तिरंगे में लिपटा
 मातम छाया !

ऐसे लौटेंगे
परदेसी प्रीतम
 कहाँ सोचा था !

व्यर्थ ना करो
सपूत की कुर्बानी
 बहा के आँसू !

गर्वित देश
सैनिक के शौर्य पे
 मस्तक ऊँचा !

शीश झुकाओ
शहीद की अर्थी है
अदब करो !

जान लुटा के
देश की सुरक्षा में
लौटे घर को !

शत्रु दल को
चुन-चुन के मारा
  जीवन हारा ! 
 
मान बढ़ाया
खुद खाकर गोली
 हमें बचाया !
  
खामोश पंछी
गुमसुम फिज़ायें
वीर सोया है !

कैसे भूलेगा
शहादत तुम्हारी
 कृतज्ञ राष्ट्र !

वीर जवान
देश के अभिमान
 तुम्हें सलाम !
  
साधना वैद

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