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Thursday, August 11, 2016

कितना मुश्किल है




बीते लम्हों को जी लेना मुश्किल है

पलकों से आँसू पी लेना मुश्किल है !


मीलों लंबे रेत के जलते सहरा में

नंगे पैरों चलते रहना मुश्किल है ! 


तुम होते तो कुछ दोनों कहते सुनते

खुद ही खुद से दिल की कहना मुश्किल है ! 


दूर तलक पसरी सूनी इन राहों में

हमकदमों के साये मिलना मुश्किल है !


पैने नश्तर के गहरे इन ज़ख्मों को

जादू सा वो मरहम मिलना मुश्किल है !


दिल के दामन के उधड़े पैबंदों को

अश्कों के धागों से सिलना मुश्किल है ! 


अनजान अपरिचित लोगों की इस दुनिया में

एक किसी हमदर्द का मिलना मुश्किल है !


चीख भरी इन आवाजों के दंगल में

इसकी उसकी सबकी सुनना मुश्किल है ! 


सदियों का था साथ निभाने का वादा

चार कदम भी संग में चलना मुश्किल है !


एक बार तो उस जैसा बन कर देखो

दोधारी तलवार पे चलना मुश्किल है ! 


माफ कर दिये जिसने अनगिन पाप तेरे

उसके जैसा रहबर मिलना मुश्किल है ! 




साधना वैद




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