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Saturday, November 19, 2016

तुरुपी चाल





अचूक वार
किये एक तीर से
कई शिकार

फुस्स हो गया
आतंकी कारोबार
कड़ा प्रहार

मन में खोट
बाँटे थे जाली नोट
आतंकी चाल

जनता खुश
काले धन पे गाज
नेता नाराज़

मन में चोर
नेता जी बौखलाएं
हल्ला मचाएं

तुरुपी वार
चित्त एक बार में
सारे मक्कार

मन में आस
सूर्योदय सा भास
मुख पे हास

लम्बी कतार
घंटों का इंतज़ार
सब भूलेंगे
जब मिलेगा न्याय
   खत्म होगा अन्याय ! 




साधना वैद




Wednesday, November 16, 2016

बेरुखी


हर मौसम में हमेशा ही
भरपूर बहार की बेपनाह खूबसूरती
और दिलकश खुशबू से भरे रहने वाले
इस रंगीन बाग़ का रास्ता 
बहार शायद अब भूल गयी है !
मुद्दत हुई इस बाग़ में
अब फूल नहीं खिलते
और सारे फूलदार पौधे
सर झुकाए पशेमान से खड़े हैं
एकदम बेरौनक, वीरान 
और बेहद उदास !
खूबसूरत परिंदों ने अपना बसेरा
शायद किसी और बाग़ में
बना लिया है !
अब सुबह शामें उनकी
ज़िंदगी से भरी चहचहाहट से
गुलज़ार नहीं होतीं ! 
खुशबू की जगह हवाओं में
अब धूल सी उड़ने लगी है
जो आँखों को हमेशा किरकिराहट
और आँसुओं से तर रखती है
कि ये धुँधलाई आँखें
कोई दूसरा दिलनशीं मंज़र देख
कभी मुतासिर हो ही न सकें !
फूल नहीं हैं तो
तितलियों ने भी
बाग़ में आना छोड़ दिया है
और शायद इसीलिये
ज़िंदगी की छोटी-छोटी
खुशियों और खूबसूरती से
रौनक और रंगीनियों से
जीने की ख्वाहिश और जज़्बे से
यह दिल इतना
बेज़ार हो चुका है कि
अब कुछ भी दिल को नहीं छूता !
कहीं इन सबका सबब
तेरी बेरुखी तो नहीं !

साधना वैद  


Sunday, November 13, 2016

ये बच्चा किसका बच्चा है - इब्ने इंशा




बाल दिवस पर विशेष
आज आपके साथ मशहूर शायर जनाब इब्ने इंशा की एक नज़्म साझा करना चाहती हूँ इसे जब भी पढ़ती हूँ मन पीड़ा से भर उठता है और मैं चाहती हूँ कि इसे आप सब भी ज़रूर पढ़ें क्योंकि जब भी मन में करुणा जागती है तभी जगत में कहीं न कहीं सत्यम् शिवम् सुन्दरम् का 
आविर्भाव होता है !


यह बच्चा किसका बच्चा है ?
यह बच्चा काला काला सा
यह काला सा मटियाला सा
यह बच्चा भूखा भूखा सा
यह बच्चा सूखा सूखा सा
यह बच्चा किसका बच्चा है ?
जो रेत पे तन्हा बैठा है

ना इसके पेट में रोटी है
ना इसके तन पर कपड़ा है
ना इसके सर पर टोपी है
ना इसके पैर में जूता है
ना इसके पास खिलौनों में
कोई भालू है कोई घोड़ा है
ना इसका जी बहलाने को
कोई लोरी है, कोई झूला है
ना इसकी जेब में धेला है
ना इसके हाथ में पैसा है
ना इसके अम्मी अब्बू हैं
ना इसके आपा खाला हैं
यह सारे जग में तन्हा है
यह बच्चा कैसा बच्चा है


यह सहरा कैसा सहरा है
ना इस सहरा में बादल हैं
ना इस सहरा में बरखा है
ना इस सहरा में बाली है
ना इस सहरा में खो़शा है
ना इस सहरा में सब्ज़ा है
ना इस सहरा में साया है
यह सहरा भूख का सहरा है
यह सहरा मौत का सहरा है
 

यह बच्चा कैसे बैठा है
यह बच्चा कब से बैठा है
यह बच्चा क्या कुछ पूछता है
यह बच्चा क्या कुछ कहता है
यह दुनिया कैसी दुनिया है
यह दुनिया किसकी दुनिया है


इस दुनिया के कुछ टुकड़ों में
कहीं फूल खिले कहीं सब्ज़ा है
कहीं बादल घिर-घर आते हैं
कहीं चश्मा है कहीं दरिया है
कहीं ऊँचे महल अटरिया हैं
कहीं महफिल है, कहीं मेला है
कहीं कपड़ों के बाज़ार सजे
यह रेशम है, यह दीबा है
कहीं गल्ले के बाज़ार सजे
सब गेहूँ धान मुहय्या है
कहीं दौलत के संदूक भरे
हाँ, ताँबा, सोना, रूपा है
तुम जो माँगो सो हाज़िर है
तुम जो चाहो सो मिलता है
इस भूख के दुख की दुनिया में
यह कैसा सुख का सहरा है?
वो किस धरती के टुकड़े हैं
यह किस दुनिया का हिस्सा है?


हम जिस आदम के बेटे हैं
यह उस आदम का बेटा है
यह आदम एक ही आदम है
वह गोरा है या काला है
यह धरती एक ही धरती है
यह दुनिया एक ही दुनिया है
सब इक दाता के बंदे हैं
सब बंदों का इक दाता है
कुछ पूरब-पच्छिम फ़र्क नहीं
इस धरती पर हक़ सबका है
यह तन्हा बच्चा बेचारा
यह बच्चा यहाँ जो बैठा है
इस बच्चे की कहीं भूख मिटे
(क्या मुश्किल है हो सकता है)
इस बच्चे को कहीं दूध मिले
(हाँ, दूध यहाँ बहुतेरा है )
इस बच्चे का कोई तन ढाँके
(क्या कपड़ों का यहाँ तोड़ा है)
इस बच्चे को कोई गोद में ले
(इन्सान जो अब तक ज़िंदा है)
फिर देखिये कैसा बच्चा है
यह कितना प्यारा बच्चा है !


इस जग में सब कुछ रब का है
जो रब का है वो सबका है
सब अपने हैं कोई ग़ैर नहीं
हर चीज़ में सबका साझा है
जो बढ़ता है जो उगता है
वह दाना है या मेवा है
जो कपड़ा है या कंबल है
जो चाँदी है, या सोना है
वह सारा है इस बच्चे का
जो तेरा है, जो मेरा है
यह बच्चा किसका बच्चा है ?
यह बच्चा सबका बच्चा है

...शायर - इब्ने इंशा...


                                         प्रस्तुति - साधना वैद


Friday, November 11, 2016

प्रदूषण घटायें - पर्यावरण बचायें


पैदल चलें
हवा को शुद्ध रखें
रिक्शे में बैठें 

दोस्ती निभाएं 
प्रदूषण घटायें 
साथ में जायें 

दूरियाँ बढ़ीं 
वाहन भी तो बढ़े
धुआँ भी बढ़ा 

कारें ही कारें 
दिखतीं सड़क पे 
हवा में धुआँ 

थोड़ी सी दूरी 
पैदल तय करें 
धुंए से बचें 

कोई और क्यों 
प्रदूषण का दोषी 
खुद को देखें 

चन्दा सूरज 
धुंए की चादर में 
धुँधले दिखें 

बीमार हुआ 
धूम्रलती के संग 
ना पीने वाला 

ग्रहण करें
आपका छोड़ा धुआँ 
बीमार लोग

करे बीमार 
आपके अपनों को 
आपकी लत 

छोड़ें व्यसन 
बीड़ी सिगरेट का 
चैन से जियें 

हुआ अनर्थ 
आपके व्यसन से 
बच्चा बीमार 



साधना वैद


Saturday, November 5, 2016

चले पटाखे - हवा प्रदूषित



चले पटाखे 
मन गयी दीवाली 
संत्रस्त लोग 

नये कपड़े
चिंगारी से सूराख 
हुए खराब 

अग्नि की वर्षा 
बिखरी चिंगारियाँ 
झुलसे पौधे 

नींद उड़ायें
पटाखों के धमाके 
जीना दूभर 

लगी चिंगारी 
वर्षों की जमा पूँजी 
पल में राख 

फैलता धुआँ
प्रदूषण बढ़ाए 
हैरान रोगी

आतिशबाजी 
कुछ देर तमाशा 
हवा विषाक्त 

चले पटाखे 
विषैली हुई हवा 
थके फेंफड़े


थोड़ा सा मज़ा 
स्वास्थ्य से खिलवाड़
पैसा बर्बाद 

किया जम के 
धन का अपव्यय 
पटाखों पर 

दमा बढ़ाए 
जोखिम भरा खेल 
दूभर जीना 

चलाये बम 
बढ़ाया प्रदूषण 
भुगतें लोग 

हवा का धुआँ 
जाता है फेंफड़ों में 
साँस के साथ 

बम की लड़ी
सड़क पर चली 
लुढ़के लोग 

पटाखा चला 
साइकिल सवार 
धरा पर गिरा 

चले पटाखे 
भयभीत परिंदे 
दुबके श्वान 


साधना वैद