देर रात घर की कुंडी खड़की तो धड़कते कलेजे को
दोनों हाथों से थाम सलमा बी ने धीरे से खिड़की का पर्दा सरका कर कनखियों से बाहर
देखा ! शकील को बाहर खड़ा देख उनकी जान में जान आई ! दरवाज़ा खोल झट से उसे अन्दर कर
सलमा बी ने फिर से दरवाज़े की कुंडी चढ़ा दी !
शकील ने अपनी जेब से कुछ रुपये और हाथ में पकड़ा
हुआ नाज का थैला अम्मी को थमाते हुए कहा, “किफायत से खर्च
करना अम्मी ! अब जाने कब खरीदने की जुगत लगे ! मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा
हूँ अम्मी फिकर मत करना ! हालात ठीक होते ही मैं घर वापिस आ जाउँगा !”
सलमा बी परेशान हो उठीं ! वो शकील के सामने तन
कर खड़ी हो गईं और भेदने वाली नज़रों से शकील
को घूरते हुए पूछा !
“सच बता शकील कहाँ जा रहा है तू और क्यों जा
रहा है ? तुझे मुँह छिपाने की ज़रुरत क्यों पड़ रही है ? तेरे अब्बू ने
मरते दम तक हमेशा मेहनत की और ईमानदारी से यह घर चलाया,
सच -सच बता अभी जो थोड़े बहुत हालात सुधरे
हैं उसमें किसी गुनाह के रास्ते आई हुई
कमाई का शुमार तो नहीं है ना ?
शकील सकते में था, “अम्मी, मुझसे कुछ मत पूछो
इस समय ! बस इतना ही कह सकता हूँ कि पेट की आग
को बुझाने के लिए रुपयों की ज़रुरत होती है ! फिर वो कहीं से भी मिलें ! मुझे जहाँ
से मिले बिना कोई सवाल पूछे मैंने ले लिए ! ”
अगर ऐसा है तो यह हराम की कमाई मुझे कबूल नहीं
!” सलमा बी की आवाज़ काँप रही थी और आँखों
से शोले बरस रहे थे !
शकील सलमा बी से नज़र मिलाए बिना तेज़ी से बाहर
निकल गया !
साधना वैद